प्रश्न: किसी साधक द्वारा पूछ गया है कि गुरुदेव की शक्ति (कुण्डलिनी) हमसे क्या चाहती है?
सम्भावित उत्तर: समर्पण ! शक्ति हमसे क्या चाहती है ये तब पता लगना शुरू होता है जब हमारा समर्पण गुरुदेव के प्रति पूर्णत: हो जाये तो आने वाली हर परेशानी या विरोध को गुरुदेव की ईश्वरीय सत्ता अपने आप संभाल लेती है | इस बात को एक छोटे से दृष्टान्त से समझा जा सकता है | एक बार कृष्ण भगवान अपने महल में भोजन ग्रहण कर रहे थे एवं पत्नी रुक्मणीजी पास ही बैठी थी | कृष्णजी अचानक भोजन का कौर थाली में छोड़कर द्वार की ओर भाग कर गए फिर एकदम लौटे और पुनः भोजन करने लगे | रुक्मणीजी ने कारण पूछा तो कृष्णजी बोले – “बाहर एक निहत्थे आदमी को बहुत सारे लोग मिलकर पत्थर मार रहे थे, इसलिए उसकी रक्षा करने के लिए भागा |” रुक्मणीजी असमंजस में थी की कृष्णजी द्वार तक जाकर वापस क्यों लौट आये | इसलिए उन्होंने पुछा, “आप द्वार तक जाकर वापस क्यों लौट आये? रक्षा क्यों नहीं की?” कृष्णजी बोले “जब मैं उसकी रक्षा करने के लिए द्वार तक पहुँचा, तब तक उस व्यक्ति ने ही स्वयं की रक्षा करने के लिए अपने हाथ में पत्थर उठा लिया था तो मैं वापस लौट आया | उसे मेरी रक्षा की कोई जरूरत नहीं थी |”
इस दृष्टान्त से यह पता चलता है की अगर हम गुरु की शक्ति पर विश्वास करें तो हर संकट से गुरु बाहर निकालता है | लेकिन होता उल्टा है कि हम हमारी बुद्धि का प्रयोग कर उस संकट से स्वयं के प्रयास से बाहर निकलना चाहते हैं | ऐसा करने से हम असफल तो होते ही हैं साथ ही गुरु की कृपा से भी वंचित रह जाते हैं |
दुसरे रूप में इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि शक्ति हमसे क्या चाहती है ? यदि किसी पुल के दोनों ओर के सपोर्ट स्थिर नहीं हैं तो पुल के बीच के हिस्से को रोकने या स्थिर रखने में बहुत तनाव आएगा | इसी प्रकार हमारे जीवन में तनाव के कारण को समझने का प्रयास करें, हमारा जन्म कब व् कहाँ होगा हमारे नियन्त्रण में नहीं है, हमारी मृत्यु कब होगी या कल सोकर जगेंगे या नहीं ये भी नियन्त्रण में नहीं है | तो जब जीवन के दोनों सिरे पर हमारा कोई नियन्त्रण नहीं है तो जीवन के बीच घटित होने वाली परिस्थितियों को बुद्धि द्वारा नियंत्रित करने का प्रयास ही तनाव व् उससे होने वाली बीमारियों का कारण है | तो हमें “गो विथ फ्लो” (समय के साथ बहना) होना चाहिए और किसी भी प्रकार की चिंता आने पर परिस्तिथियों का विरोध किये बिना सब कुछ चिंता छोड़कर केवल नाम जप करना चाहिए | और देखना चाहिए कि शक्ति उसी कार्य को किस प्रकार नियन्त्रण में लेकर संचालित करती है, जिस कार्य को हम अब तक शक्ति पर भरोसा ना कर दिमाग लगाकर असफल प्रयास कर रहे थे | मृत शरीर पानी में नहीं डूबता, क्यूँ कि वो पानी से विरोध नहीं करता, हाथ – पैर मारता हुआ आदमी डूब जाता है | उसी प्रकार यदि हम चिंता आते ही गुरुदेव से प्रार्थना करे कि – आज तक परेशानी आने पर खूब दिमाग लगाया, पर मनवांछित सफलता नहीं मिल तो अब इस कार्य की लगाम आपको देता हूँ, और मंत्र जाप शुरू कर दें | फिर देखिये आपका वही कार्य उस शक्ति की सहायता से किस प्रकार सफल होता है | आप केवल धैर्यपूर्वक इंतजार करें | शक्ति आपसे परेशानी या चिंता आने पर केवल धैर्यपूर्वक नाम – जप चाहती है | उस समय जो अपने आप आ रहा है उसे स्वीकार करें और जो जा रहा है उसकी चिंता न करें | शक्ति पर छोड़ दे | शक्ति बस यही चाहती है |