गुरु सियाग योग

हम जानेंगे कि बच्चों को ध्यान क्यों करना चाहिए और गुरु सियाग का ध्यान करने के क्या फायदे हैं |

फोकस होने में :
प्राय धारणा है कि मेडिटेशन करने के लिए ध्यान केन्द्रित करना होता है, इसलिए ये बच्चों के लिए नहीं है | ये सोच सही नहीं है | कई बच्चे शांत होकर 15 मिनट नहीं बैठ सकते लेकिन केवल 5 मिनट के लिए ध्यान जरूर कर सकते हैं | जब बच्चे इस शांत समय को एन्जॉय करेंगे तो समय धीरे धीरे अपने आप बढ़ता जायेगा |

बच्चों को ध्यान क्यों करना चाहिए ?
बचपन ही एसा समय होता है कि जब बच्चों पर कोई जिम्मेदारी नहीं होती और बच्चों को अपना बचपन एन्जॉय करना चाहिए, अक्सर बड़ों की सोच बच्चों के एसी होती है | पर ये आंशिक सच है | निश्चित रूप से बच्चों में इतनी समझ नहीं होती कि वे अपने एक्शन (किये हुए) के परिणाम समझ पायें या भविष्य में उनका क्या होगा ? पर बच्चों की अपनी समस्याएं होती हैं जैसे : पढ़ाई की चिंता, स्कूल की चिंता, बड़ों का उनके प्रति व्यवहार, सामाजिक वातावरण एवं उम्मीदें, शरीर के प्रति चिंता (रंग–रूप की), आदि आदि | इस प्रकार के तनाव, बच्चे के व्यवहार को, खाने-पीने की आदतों को, शारीरिक वृद्धि को, स्वास्थ्य को, स्कूल में पढ़ाई व व्यवहार को, एवं दुसरे बच्चों से आदान–प्रदान आदि को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं |
गुरु सियाग का योग इस प्रकार के तनावों से होने वाले नकारात्मक प्रभाव से बच्चों को मुक्त रखता है | बच्चों में छिपी हुई योग्यताओं एवं प्रतिभाओं को निखारता है | गुरु सियाग के योग को बड़ी आसानी से बच्चों की स्कूल और घर की दैनिक क्रियाओं में शामिल किया जा सकता है |
गुरु सियाग ध्यान योग के बच्चों को फायदे

बच्चो में तनाव से मुक्ति : 
हम प्राय: सोचते हैं कि ध्यान का मतलब विचार शून्य होने की कोशिश करना, जबकि एसा नहीं है | जबकि ये अशांत मन को, शांत करने की विधि है | जैसे पानी भरे गिलास में मिट्टी डालकर हिलाएं, तो पूरे गिलास में मिट्टी तैरती नजर आती है | फिर धीरे धीरे मिट्टी गिलास के पेंदे में बैठ जाती है | कुछ समय बाद गिलास में साफ पानी नज़र आने लगता है जबकि मिट्टी अभी भी गिलास में ही है | बिलकुल उसी प्रकार जब हम मैडिटेशन करते हैं तो विचारों की आंधी कुछ समय तक मन में घूमती है | फिर जैसे जैसे बच्चा मन्त्र जाप पर केन्द्रित होता जाता है वैसे वैसे विचार शांत होने लगते हैं और मन शांत होने लगता है | जब मन शांत होता है तो इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है और तनाव तुरंत कम या गायब हो जाता है |

पढाई में अच्छा प्रदर्शन :
बच्चे में इस प्रकार घटा हुआ तनाव उसकी सजगता को बढाता है और ध्यान को केन्द्रित करता है | जो विद्यार्थी गुरु सियाग योग का नियमित अभ्यास करते थे उन्होंने बताया कि ध्यान के बाद उन्हें कठिन विषय भी सरल लगने लग गए | एकाग्रता बढ़ने से उनकी याददाश्त भी बढ़ गयी और याद भी जल्दी होने लगा |

चिंता और डिप्रेशन में कमी : 
हर थोड़े दिनों में हम सुनते हैं कि कई बच्चे पढाई के बोझ से या फेल होने के डर से या अन्य कारणों से डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर लेते है | यदि उनके स्कूल या कालेज 15 मिनट का ध्यान अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लें तो इस प्रकार की भयानक घटनाओं से बचा जा सकता है | इसलिए कम से कम माँ-बाप तो घर पर सुबह शाम ध्यान के लिए बच्चों को बैठा ही सकते है | बच्चे जितनी कम उम्र में ध्यान आरम्भ करेंगे उतनी ही जल्दी तरक्की करेंगे | गुरु सियाग की विधि से ध्यान करने वाले बच्चों ने बताया कि वे अब पहले से ज्यादा अच्छी तरह से तनाव व् चिंता से पार पा सकने में सक्षम हैं | परीक्षा से पहले ध्यान, पढने बैठने से पहले ध्यान, मन व शरीर को शांत रखता है और हाथ में लिए गए कार्य में मन अच्छा केन्द्रित होता है | गुरु सियाग का ध्यान भावनात्मक संतुलन को भी मजबूत करता है – बच्चे किसी भी दबाब की परिस्थितियों में भी शांति से घटनाक्रम का अवलोकन करते हैं और बिना इमोशनल या डिप्रेस हुए भविष्य के लिए अच्छे निर्णय ले पाने में सक्षम होने लगते हैं |

बच्चों में नये आयडिया सोच पाने की क्षमता का विकास :
गुरु सियाग की विधी से बच्चे की मानसिक क्षमता का विकास होने से वो नये क्रिएटिव आयडिया सोच पता है | हर कार्य को एक अलग ही ढंग से शीघ्र करने की क्षमता विकसित होने लगती है | जो विकास पेरेंट्स समझा कर नहीं करवा पाते वह गुरु सियाग की साधना से अपने आप होने लगता है |

ख़ुशी की मानसिक स्थिति :
गुरु सियाग का ध्यान का तरीका, बच्चे के व्यक्तित्व में बहुत अच्छा असर डालता है | वो खुश और आत्मविश्वास से भरे दीखते हैं | कई बच्चों ने बताया कि ध्यान शुरू करने के बाद से वो काफी आशावादी हो गए, उनका हर कार्य में आत्मविश्वास बढ़ गया | मुसीबतों से घबराना बंद हो गया और नई चीजे दिमाग में अपने आप आने लग गई | ख़ुशी की मानसिक स्थिति के कारण बच्चों की झगड़ालू आदतों या मचलने की आदतों में भी कमी आई | वे आसपास के लोगों से ढंग से पेश आने लगे जिससे उनके सामाजिक स्किल एवं सम्बन्धो में भी सुधार आया |

उच्च चेतना का विकास :
बच्चो में दूसरों के प्रति दया एवम सहानुभूति का विकास, दुसरो की जरूरत के प्रति भी सचेतन होना और दूसरों से अच्छे से पेश आना | जरुरतमंदों के प्रति दया का भाव उत्पन्न होना एवं अन्याय के प्रति खड़े होने की क्षमता का विकास होना आदि आदि |

नोट: हर माँ-बाप बच्चों के लिए ही जीते हैं, और उनको हर प्रकार की ऊंचाईयों पर देखना चाहते हैं | पहले तो संयुक्त परिवारों के कारण बच्चे भावनात्मक रूप से सही विकसित होते थे | पर आज के समय में एकल परिवार के कारण बच्चे व् माँ-बाप दोनों चिडचिडे रहते हैं | बच्चों का मानसिक विकास भी सही प्रकार नहीं हो पाता, परिस्थितियोंवश माँ-बाप भी बच्चों को समय नहीं दे पाते | बच्चों की सही निगरानी नहीं हो पाती | ऐसे में गुरु सियाग की ध्यान की विधी बच्चे को उसके मार्ग से भटकने नहीं देगी | माँ-बाप केवल बच्चे में गुरु सियाग का ध्यान करने के संस्कार भी डाल पाए तो बच्चे का बाकी सब ध्यान कुंडलिनी शक्ति आपने आप रख लेगी | और आपके बच्चे को उन ऊंचाइयों पर ले जाएगी जहाँ आप उसे देखना चाहते हैं |

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