गुरु सियाग योग

  • ये जीते जी मोक्ष एवं मानव के दिव्य रूपांतरण का मार्ग है, इस विधि को अपनाने से बीमारियाँ, नशे, एवं चिंताएं तो अपने आप ही मिटने लगतीं हैं |
  • ये साधना पतंजलि के अष्टांग योग का साक्षात्कार सरल एवं सहज रूप से करवाती है |
  • कुछ समय की साधना के पश्चात साधक अजपा जप की स्थिति में आ जाता है और मंत्र जाप अपने आप जपा जाने लगता है |
  • अध्यात्मिक विकास के क्रम में साधक अनाहत नाद सुनने लगता है जो उसे किसी भी परिस्थितियों में ग्रहस्थ जीवन में रहते हुए आन्तरिक शांति की ओर ले जाता है | नाद सुनना अध्यात्मिक विकास की महत्वपूर्ण कड़ी है |
  • GSY द्वारा साधकों को कई सिध्धियाँ प्राप्त होती है जैसे प्रातिभ ज्ञान, जिसमे साधक अनलिमिटेड पास्ट एवं फ्यूचर की घटनाएँ देख एवं सुन सकता है |
  • कई साधकों को खेचरी मुद्रा लगती है जिसमे जीभ पीछे की ओर खिचती है और एक रस टपकता है जिसे योगियों ने अमृत की संज्ञा दी है| इस कारण कई असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं ?
  • इस साधना से वृत्ति परिवर्तन होने से तामसिक वृत्तियों से सात्विक वृत्तियों में परिवर्तन हो ने व्यक्ति देवत्व के मार्ग की ओर बढ़ते हैं |
error: Content is protected !!