गुरु सियाग योग

प्रश्न – बाइबल मसीहा के लिए कहती है कि मसीहा पूरब से विद्युत गति से आएगा | इस बात से क्या तात्पर्य है? कृपया स्पष्ट करें |

उत्तर – बाइबल स्पष्ट रूप से कहती है कि तीसरा एवं अन्तिम मसीहा पूरब दिशा से आयेगा। ओल्ड टेस्टामेन्ट (पुरानी वसीयत) में तीसरे मसीहा एलिय्याह के बारे में कहा है “एक बहुत भूखा पक्षी पूरब से पुकार रहा है, दूर देश से जो व्यक्ति मेरी सलाह को कार्यान्वित करेगा, वह मैंने जो कहा है, मैं उसको पूरा करूँगा, मैंने ऐसा खास उद्देश्य से किया है, और मैं उसे पूरा करूँगा”। (यशायाह ४६:११). इसी प्रकार यीशु ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सहायक पूरब से आयेगा “क्योंकि जैसे बिजली पूरब से निकलकर पश्चिम तक चमक जाती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा”। (मैथ्यू २४:२७)

सम्बद्धता – गुरू सियाग पूरब के हैं (भारत- राजस्थान) विश्व के भौगोलिक आधार पर भारत दुनियां के पूर्वी राष्ट्रों में आता है | उनका विश्वास है कि जब तक पूरब का आध्यात्म (पुरातन वैदिक ज्ञान) पश्चिम की भौतिकता (पदार्थ) से नहीं मिलता है तब तक पृथ्वी पर स्थायी शान्ति नहीं होगी। इसीलिए गुरू सियाग पश्चिम को सन्देश भेजते रहे हैं कि पूरब तथा पश्चिम को साथ-साथ लाने की आवश्यकता है। यह सन्देश विद्युत गति से आन्तरिक यात्रा करते रहे हैं ठीक वैसे ही जैसे बाइबल में सम्बन्धित पंक्तियों के अनुसार, “क्योंकि जैसे बिजली पूरब से निकलकर पश्चिम तक चमक जाती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा”।

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प्रश्न – सुना है कि बाइबल में लिखा है कि मसीहा विदेशी भाषा बोलेगा?

उत्तर – जी हाँ, बिलकुल लिखा है. “नियम में यह लिखा है, अन्य भाषा तथा अन्य जबान के व्यक्तियों से क्या मैं नहीं बोलूँगा, और फिर भी क्या वह उस सबके लिये नहीं सुने जायेंगें, ईश्वर कहता है” (१ कुरिन्थियों १४:२१)

सम्बद्धता– यहाँ बाइबल में स्पष्ट कहा गया है कि ईश्वर अपने मसीहा के अवतार में अपने शिष्यों के साथ विदेशी भाषा में बात करेगा अर्थात शिष्य भी विदेशी भाषा में ही बात करेंगें, फिर भी विदेश में वे महान आदर के साथ सुने जायेंगे। गुरू सियाग तथा उनके नजदीकी शिष्य हिन्दी बोलते हैं- (भारतीय भाषा)  जो दूसरे देशों में रहते हैं उनके लिये विदेशी भाषा है और वे उनका सन्देश भारत से बाहर फैला रहे हैं।

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प्रश्न – गुरुदेव हर आने वाले को दीक्षा देते हैं; इस बारे में बाइबल भी कुछ कहती है क्या?

उत्तर – बाइबल के अनुसार पवित्र आत्मा मसीहा लोगों को बपतिस्मा (दीक्षा) देगा। “और उनसे मिलकर यीशु ने आज्ञा दी कि  यरूशलम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिसकी चर्चा तुम मुझसे सुन चुके हो”। (ऐपोस्टल्स के कार्य १:४)  “क्योंकि जॉहन (युहन्ना)” ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है, परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से (में) बपतिस्मा पाओगे “Not many days hence”। (ऐपोस्टल्स के कार्य १:५). पवित्रात्मा द्वारा लोगों को बपतिस्मा दिये जाने का एक समान संदर्भ है दैवीय प्रकाशन में (७:२ व ३) जहाँ यीशु कहता है” और मैंने एक स्वर्ग दूत को जीवते परमेश्वर की मोहर लिये हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा, उसने उन चारों स्वर्गदूतों से, जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे शब्दों से पुकार कर कहा। जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें तब तक पृथ्वी, समुद्र और पेडों को हानि न पहुँचाना”।

सम्बद्धता – बाइबल के इन दोनों ही संदर्भों से यह स्पष्ट होता है कि पवित्रात्मा या मसीहा लोगों को बपतिस्मा (दीक्षा) देगा और वह ऐसा ईश्वर के दासों के माथे पर मुहर लगाकर करेगा। केवल एक दिव्य गुरू (पवित्रात्मा) जो सर्वोच्च पद का होगा तथा जो स्वयं ईश्वर को जान चुका होगा लोगों को सही बपतिस्मा दे सकता है ठीक उसी ढंग से जैसे यीशु ने कहा था। गुरू सियाग एक ऐसे ही दिव्य गुरू हैं जो कहते हैं कि ईश्वर का साक्षात्कार पुस्तकों के पढ़ने या प्रतिभापूर्ण बहस का मामला नहीं है, यह ईश्वर को अनुभव करने का मामला है- आत्मसाक्षात्कार या ईश्वर का साक्षात्कार। गुरू सियाग अपने शिष्यों से एक दैवीय मंत्र के जाप एवं माथे के मध्य में (भोंहो के मध्य के ठीक ऊपर जिसे तीसरी आँख कहा जाता है) ध्यान के द्वारा ईश्वर को अनुभव व साक्षात्कार करने को कहते हैं ठीक वैसे ही जैसा यीशु कहता है, “कहते हुए जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें तब तक पृथ्वी, समुद्र और पेडों को हानि न पहुँचाना”, माथे का मध्य या तीसरी आँख हिन्दू धर्म के अनुसार चेतना का मुख्य केन्द्र है। आध्यात्मिक गुरू के शक्तिपात (दिव्य आन्तरिक ऊर्जा शक्ति को क्रियाशील करके) या बपतिस्मा के द्वारा एक बार यह केन्द्र क्रियाशील होने पर साधक की दृष्टि अन्दर की ओर मुड़ जाती है और वह ईश्वर का साक्षात्कार करता है।v

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प्रश्न – क्या बाइबल में भी ऐसा लिखा है कि मसीहा असाध्य रोगों को ठीक करेगा?

उत्तर – यीशु ने बाइबिल में कहा है कि – “और बीमारों को स्वस्थ करना जो उनमें हैं और उन्हें बतलाना कि ईश्वर का राज्य उनके करीब है”। “लेकिन यदि मैं ईश्वर की उँगली के इशारे से दुष्टात्मा को बाहर करता हूँ, कोई शक नहीं ईश्वर का राज्य आप के पास होगा”। (ल्यूक १०:९  ११:२०)

सम्बद्धता– गुरुदेव मसीहा के रूप में बिल्कुल यही कर रहे हैं | यह भविष्यावाणी पहले से ही सत्य हो चुकी है क्योंकि गुरू सियाग अनगिनत लोगों को गत २० वर्षों से भी ज्यादा समय से असाध्य तथा लम्बे समय से चले आ रहे रोगों से उन्हें सिद्धयोग की दीक्षा के द्वारा रोग मुक्त कर चुके हैं । जो बीमार हैं तथा मर रहे होते हैं और उनके पास मदद के लिये आते हैं उनसे गुरू सियाग कहते हैं कि अगर दानव आप के अन्दर है तो देवता भी है। अगर एक बार इस ईश्वरीय शक्ति को मैं आप के अन्दर सक्रिय कर देता हूँ तो दानव क्या कर सकता है? दानव को बाहर जाना होगा और आपकी पीड़ा और बीमारी का अन्त हो जायेगा। आप ईश्वर की कृपा के  मार्ग पर हैं। यह बिल्कुल वही है जो बाइबल का मतलब है वह कहती है, “लेकिन यदि मैं ईश्वर की उँगली के इशारे से दुष्टात्मा को बाहर करता हूँ, कोई शक नहीं ईश्वर का राज्य आप के पास होगा”। 

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प्रश्न – बाइबिल तो ये भी कहती है कि मसीहा अनिश्चित काल का भूत और भविष्य दिखलायेगा? यही आने वाले मसीहा कि पहचान होगी? इस बारे में गुरुदेव का क्या कहना है?

उत्तर – यीशु ने अपने अनुचरों से कहा कि सही मसीहा की पहचान का मुख्य लक्षण यह होगा कि वह अपने अनुयाइयों को बपतिस्मा (दीक्षा) के बाद उन्हें भूत तथा भविष्य की घटनाओं को दिखाने की योग्यता रखेगा। निम्न पर विचार करें- “परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आयेगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बतायेगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा और आने वाली बातें तुम्हे (दिखायेगा) बतायेगा”। लेकिन यह वह है जो भविष्यवक्ता योएल द्वारा कही गई है। (एक्ट्स २:१६ से २:३३) “कि परमेश्वर कहता है कि अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उडेलूँगा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगी और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे और तुम्हारे वृद्ध स्वप्न देखेंगे”।

“वरन मैं अपने दासों और दासियों पर भी उन दिनों में अपने आत्मा में से उंडेलूँगा और वे भविष्यवाणी करेंगे”। “इस प्रकार परमेश्वर के दाहिने हाथ से सर्वोच्च पद पाकर और पिता से वह पवित्र आत्मा प्राप्त करके जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी, उसने यह उँडेल दिया है, जो तुम देखते और सुनते हो”।

सम्बद्धता– बहुत से मनुष्य जो गुरू सियाग के सिद्धयोग में शक्तिपात दीक्षा प्राप्त कर चुके हैं ध्यान के दौरान सुदूर पूर्व में घटी घटनाओं एवं भविष्य में घटने वाली घटनाओं को प्रमाणित करते हैं। कुछ ने लिखकर दिया है कि वे अपने पूर्व जन्म देख चुके हैं। गुरू सियाग कहते हैं कि “एक बार जब तुम सिद्धयोग द्वारा आध्यात्म के मार्ग पर पर्याप्त प्रगति कर लेते हो तो तुम में खास शक्तियाँ विकसित हो जायेंगी जो तुम्हें इस योग्य बना देंगी कि तुम सुदूर पूर्व या भविष्य की झलक पा सको, तुम उन घटनाओं को ऐसे देख सकते हो जैसे तुम टेलीविजन के पर्दे पर उन्हें प्रत्यक्ष होते देख रहे हो”।

गुरू सियाग इशारा करते हैं कि पुराने हिन्दू ऋषि पातंजलि, जो ऐसे पहले ऋषि हैं जिन्होंने योग की विशाल पद्धति के नियम बनाये हैं, वह स्पष्ट रूप से अपनी पुस्तक ‘योग सूत्र‘ में कहते हैं कि एक साधक को प्रातिभज्ञान (अन्तर्ज्ञान की योग्यता) विकसित होना सम्भव है जो गहराई के साथ सुदूर पूर्व तथा भविष्य में देख सकने योग्य बनाता है। उसकी दृष्टि से कुछ भी छिपा हुआ नहीं रहता, वह अत्यन्त अस्पष्ट या अज्ञात पदार्थ को भी तत्काल देख सकता है वास्तव में, ऋषि पातंजलि आगे कहते हैं कि एक साधक या योगी जिसने अन्तर्ज्ञान की योग्यता प्राप्त कर ली है अपने पाँचों इन्दि्रय जनित ज्ञान का सम्पूर्ण रूप से विकास अनुभव कर सकता है। यह योगी को ईश्वरीय उच्च इन्द्रियजनित ज्ञान शब्द, स्पर्श, रूप , रस और गंध का अनुभव कराता है। एक योगी के लिये जो इस अवस्था तक पहुँच चुका है ईश्वर केवल कल्पना की वस्तु नहीं रहता वह अत्यन्त विकसित ज्ञानेन्द्रियों के ज्ञान के द्वारा दिव्यता (देवत्व) अनुभव कर सकता है, एक ऐसी चीज जिसके बारे में एक साधारण मनुष्य कल्पना भी नहीं कर सकता। 

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प्रश्न – बाइबिल में लिखा है कि आने वाले मसीहा को हानि पहुँचाने का प्रयास होगा? तो क्या गुरुदेव के साथ भी ऐसी कोई घटना घटी है?

उत्तर – बाइबिल कि भविष्यवाणियाँ रिवीलेशन १२:१५ व १२:१६ कहती हैं- “ और सांप ने उस स्त्री के पीछे अपने मूंह से नदी की नाईं पानी बहाया, कि उसे उस नदी से बहा दे। परन्तु पृथ्वी ने उस स्त्री की सहायता की, और अपना मुँह खोलकर उस नदी को जो अजगर ने अपने मुँह से बहाई थी, पी लिया।

सम्बद्धता – यह भविष्यवाणी जिसका यहाँ वर्णन किया गया है वास्तव में गुरुदेव के जीवन में घटित हुई। गुरुदेव ने स्वयं इस घटना का वर्णन किया है। उन्हीं के शब्दों में – “वर्ष १९३३ में, मानसून के मौसम में, असामान्य रूपसे भारी वर्षा हो रही थी। मैं ७ वर्ष का था तथा राजस्थान राज्य के बीकानेर जिले के पलाना गाँव में अपनी माँ के साथ रह रहा था। मेरा गाँव कुछ नीचाई में है इस कारण वर्षा का पानी बहकर गाँव में आता है भारी वर्षा के कारण, गाँव पानी से भर गया था। गाँव के मकान अधिकतर कीचड मिट्टी के(कच्चे) बने थे और उनमें से लगभग सभी गिर गये थे। मेरे घर में, एक झोंपडी लकडी की बनी रह गई थी उसी में मेरी माँ ने तथा मैंने शरण ले रखी थी। अचानक, गाँव के दक्षिण-पश्चिम में १०-१५ जगह जमीन में दरारें आ गईं। यह दरारें लगभग १५-२० फुट लम्बी तथा ढाई फुट चौडी थीं। कुछ ही मिनटों में सारा पानी उन दरारों में समा गया। मेरी झोंपडी से लगभग १०-१५ फुट दूर उत्तरी-पश्चिमी दिशा में, एक वैसी ही दरार दिखलाई पडी और जो पानी हमारे चारों ओर था वह उसमें चला गया। अगर वह दरार वहाँ नहीं पडती तो अगले १०-१५ मिनट में मेरी माँ और मैं डूब गये होते।“

इन दरारों के पीछे मुख्य कारण गाँव के पास ही कोयला-खानों का होना था। कोई कार्य बिना कारण के कभी नहीं हो सकता। परन्तु जब यह भविष्यवाणी की गई थी उस समय मेरा गाँव व कोयले की खानें वहाँ नहीं थीं। मेरा गाँव ३९० वर्ष पूर्व बसा था तथा कोयले की खानें लगभग १०० से ११० वर्ष पूर्व खोदी गई थीं।

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प्रश्न – गुरुदेव का दर्शन एवं बाइबिल द्वैतवाद के सम्बन्ध क्या कहते हैं? ये भविष्यवाणी किस प्रकार गुरुदेव पर सत्य बैठती है?

उत्तर – दक्षिणी पश्चिमी एशिया के यहूदी तथा अरबी धर्म के अनुयाइयों का विश्वास है कि ईश्वर तथा उसकी रचना मनुष्य दोनों का अलग-अलग अस्तित्व है यह द्वैत वाद कहलाता है क्योंकि यह ईश्वर तथा मनुष्य अलग-अलग हैं, यह सच है, ऐसा मानते हैं। इस धर्म के मानने वाले इस विचार को कि मनुष्य, ईश्वर बन सकता है, मान ही नहीं सकते। वे विश्वास करते हैं कि मनुष्य का ईश्वर से मिलना या किसी भी तरह से वास्तविक रूप में आमने सामने उसे देख पाना असम्भव है। इसके विपरीत, वैदिक (हिन्दू)  धर्म विश्वास करता है कि ईश्वर और मनुष्य दोनों का अलग-अलग अस्तित्व नहीं है हिन्दू दर्शन के अनुसार, पूर्ण विकास होने पर मनुष्य देवत्व प्राप्त कर सकता है। मनुष्य इस पूर्ण विकास को तभी प्राप्त कर सकता है जब वह भौतिक तथा मानसिक चेतना से ऊपर उठकर अन्तिम तीन आध्यात्मिक चेतनाओं की अवस्थाओं से, गुरू सियाग जैसे दिव्य गुरू के आशीर्वाद के साथ, गुजरते हुए प्रगति करता है। यह अद्वैतवाद है क्योंकि यह ईश्वर तथा मनुष्य में भेद नहीं करता है। हिन्दू दर्शन केवल ‘सोऽहम‘ (मैं ही ईश्वर हूँ) के विचार को स्पष्ट ही नहीं करता है बल्कि मनुष्य के लिये, विकास की उच्चतम अवस्था को प्राप्त करने हेतु क्रियात्मक विधि भी प्रतिपादित करता है।

भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है- “हे अर्जुन शरीर रूपी यंत्र में आरूढ हुए सम्पूर्ण प्राणियों को अन्तर्यामी परमेश्वर अपनी माया से भ्रमाता हुआ सब भूत प्राणियों के हृदय में स्थित है”। (भ.गी. १८:६१)

वर्तमान ईसाई द्वैतवाद के विश्वास के विरूद्ध बाइबल, हिन्दू विचारधारा के अद्वैतवाद के प्रति प्रतिध्वनित होती है, जब वह कहती है” और मूरतों के साथ परमेश्वर के मन्दिर का क्या सम्बन्ध? क्योंकि हम तो जीवते परमेश्वर के मन्दिर हैं, जैसा परमेश्वर ने कहा है कि मैं उसमें वसूँगा, और उसमें चला फिरा करूँगा, और मैं उनका परमेश्वर हूँगा, और वे मेरे लोग”। (२ कुरिन्थियो ६:१६)

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प्रश्न – सुना है यीशु ने कहा था कि मैं पुनः जन्म लूँगा, जबकि ईसाई धर्म तो पुनर्जन्म में यकीन ही नहीं करता | तो ये कैसे सम्भव होगा? गुरु सियाग दर्शन इससे कैसे सम्बन्धित है?

उत्तर – जब जीसस ३० वर्ष के थे, लम्बे समय तक उनकी अनुपस्थिति के बारे में बाइबल मौन है, लेकिन जब काफी समय के अज्ञातवास के बाद जीसस पुनः प्रकट हुए तो उन्होंने परमेश्वर के राज्य को देखने के लिए मनुष्य को पुनः जन्म लेने की आवश्यकता के बारे में उपदेश देना आरम्भ किया। जो उनके लिए भारी विरोध का कारण बना |

आप देखिये बाइबल में कितनी जगह लिखा हुआ है“यीशु ने स्पष्ट शब्दों में कहा, यदि कोई नये सिरे से न जन्में तो परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता”। (जॉहन ३:३). “निकोडियस ने उनसे कहा, क्या एक वृद्ध व्यक्ति पुनः जन्म ले सकता है! क्या वह अपनी माँ की कोख में दुबारा प्रवेश कर सकता है? और फिर जन्म ले”। (जॉहन ३:४). तब “यीशु ने स्पष्ट शब्दों में कहा यदि कोई मनुष्य पानी और आत्मा से उत्पन्न न हो तो वह परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता”। (जॉहन ३:५). “कि मांस से मांस उत्पन्न होता है और जो आत्म तत्व से जन्म लेता है आत्मा है”।(जॉहन ३:६). “जो मैंने उनसे कहा उससे अचम्भित न होओ, तुम्हें पुनः जन्म लेना होगा”।(जॉहन ३:७). “हवा चलती है आवाज के साथ तुम उसकी आवाज को सुनते हो, लेकिन नहीं बता सकते कि वह कहाँ से आती है और कहाँ जाती है, इसी प्रकार प्रत्येक है जो आत्मा से जन्म लेता है”। (जॉहन ३:८)

यीशु ने आदमी के बारे में कहा है कि “दुबारा जन्म लेना होगा” इसका क्या मतलब है? बाइबल के व्याख्याकारों में इस बारे में अभी भी भारी भ्रम की स्थिति है। क्यों कि ईसाइयत दुबारा जन्म में भरोसा ही नहीं करती | पुनर्जन्म अर्थात द्विज की अवधारणा की घोषणा हिन्दू धर्म में की गई है जो यीशु से कई हजार वर्ष पहले की है। हिन्दू दर्शन में द्विज (दूसरा जन्म) होने की अवधारणा है| गुरू सियाग स्पष्ट करते हैं, हिन्दू दर्शन के अनुसार, पृथ्वी पर मनुष्य अपने जीवन में दो बार जन्म लेता है, | पहली बार अपने भौतिक माता-पिता से और दूसरी बार तब जब गुरू द्वारा शिष्य को अध्यात्म के मार्ग पर योग द्वारा चलने के लिये दीक्षित किया जाता है। शिष्य के रूप में एक साधक की दीक्षा, आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर चलने का आरम्भ है जो प्रत्यक्षानुभूति तथा आत्मसाक्षात्कार तक पहुँचाता है। अतः यह दूसरा जन्म, गुरू की देखरेख के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए पश्चिम में ईसाई धर्म के अनुयायी पुनः जन्म का सही मतलब तब जान पायेंगे  जब वे निकट भविष्य में गुरू सियाग से सिद्धयोग की शक्तिपात दीक्षा प्राप्त करेंगे।

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प्रश्न – कई ईसाई लोगों ने भी बताया कि बाइबल में लम्बे काल तक यीशु का कोई जिक्र नहीं है, इस दौरान यीशु कहाँ रहे?  

उत्तर – गुरू सियाग कहते हैं कि पश्चिम में ईसाई धर्म के अनुयायी जब ध्यान करना आरम्भ करेंगे तो वे जान जायेंगे कि जीसस की लम्बी अनुपस्थिति के पीछे सच्चाई क्या है। ध्यान के दौरान जीसस के अनुयायी विजन्स(दृश्य)  देखेंगे जिनसे यह सच्चाई प्रकट होगी  कि जीसस कहाँ थे और किसमें व्यस्त थे। उनको ध्यान में दिख जायेगा कि यीशु उस समय कश्मीर की पहाड़ियों-गुफाओं में वैदिक-ज्ञान ग्रहण कर रहे थे | इस प्रकार बाइबल स्पष्ट भविष्यवाणी करती है। “अरे देखो, तुम्हारा घर सुनसान हो गया है”, (मैथ्यू २३:३८) “क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ, वे मुझे अबसे नहीं देख सकेंगे, जब तक कि वह यह नहीं कहेंगे, जो ईश्वर के नाम पर आ रहा है वह उसका (ईश्वर का) आशीर्वाद पा चुका है”। (मैथ्यू २३:२९)

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प्रश्न – बाइबिल में जीसस ने कहा है कि लोग आने वाले मसीहा को चेलन्ज करेंगे; तो क्या गुरु सियाग को भी चेलेंज किया जायेगा? ये चेलेंज किस प्रकार का होगा?

उत्तर – जीसस ने अपने शिष्यों को सही मसीहा की पहचान के लिये जो चिन्ह बतलाये थे, यद्यपि गुरू सियाग उनमें से प्रत्येक बात का उत्तर देते हैं फिर भी वह अच्छी तरह से जानते हैं कि आज का विश्व भौतिक वृत्तियों के हावी होने के कारण, उन्हें ऐसे ही आसानी से स्वीकार नहीं करेगा, देवत्व का सबूत माँगेगा। बाइबल ने यह भी सोचकर जब यह कहा “क्या वह इस आदमी से दूसरी भाषा में तथा हकलाती हुई बोली में बोलेगा”। (यशायाह २८:११). “उसने किससे कहा, यह आराम है जिससे वह थकान को दूर कर सके, और यह ताजगी भरा है, फिर भी वह नहीं सुनेगा”। (यशायाह २८:१२). “अन्धे व्यक्ति को आगे लाओ जो आँखें रखता है तथा बहरे को जो कान रखता है”।(यशायाह ४३:८). “नियमों में यह लिखा है क्या दूसरी भाषा तथा बोली के लोगों के साथ मैं इन लोगों को बोलूँगा और फिर भी सबके लिये क्या वे मुझे नहीं सुनेंगे, परमेश्वर ने कहा”। (१ कुरिन्थियों १४:२१)

जैसी बाइबल द्वारा भविष्यवाणी की गई थी,  मसीहा से उसके मसीहा होने के सबूत मांगे जायेंगे| उसी प्रकार गुरू सियाग की भी अब तक की आध्यात्मिक यात्रा, धार्मिक बातों पर विश्वास न करने वाले नास्तिकों के साथ क्लेशों तथा परीक्षाओं से भरी हुई रही है जो निगाह के सामने स्पष्ट सबूतों के बावजूद  उनकी दिव्य शक्तिओं के बारे में शक कर रहे हैं। नेता, सरकार, मेडिकल विभाग, अखबार, मीडिया, विदेशी सरकारें, एन.जी.ओ. सब सच्चाई जानते हैं फिर भी न तो सत्य स्वीकार करना चाहते हैं और न ही सत्य को दुनिया के सामने लाना चाहते हैं | फिर भी गुरुदेव या उनके शिष्य घबराये हुए नहीं हैं। क्योंकि उन्हें विश्वास है अन्ततः ईश्वर का कार्य किया जायेगा, इससे कोई फर्क नहीं पडता उन्हें कितनी भी कठोर परीक्षाओं से क्यों न गुजरना पडे। गुरुदेव का कहना है कि यही कलियुग की पहचान है कि आप सच्चाई जानते हुए भी दुनियाँ को नहीं समझा सकते | बाइबिल में भी यही लिखा हुआ है, वे भी यकीन करते हैं उसी आदेश पर जो सर्वोच्च शक्ति ने दिया, “अपना कारण प्रस्तुत करो, परमेश्वर ने कहा, अपने सशक्त कारण सामने लाओ जैकोव के राजा ने कहा”। (यशायाह ४१:२१).

इसी प्रकार गुरु सियाग ने कहा है कि – “मैने अपना पक्ष दुनियाँ के आगे रखा है। मैं आशा करता हूँ कि सभी बुद्धिमान एवं सच्चे धार्मिक लोग मेरे कथनों की बारीकी से जांच  करेंगे और विश्व में पूर्ण धार्मिक क्रान्ति लाने में मदद करेंगे, जिससे पृथ्वी पर स्थायी शान्ति स्थापित हो।“

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प्रश्न – बाइबिल में या विश्व के अन्य प्रमुख लोगों द्वारा की गई भविष्यवाणियां गुरु सियाग पर किस प्रकार सही ठहरती हैं? कल्कि का आगमन गुरुदेव से किस प्रकार सम्बन्धित है?

उत्तर – विश्व के सभी बड़े धर्मों में मानवता के भविष्य की झलक भविष्यवाणियों के द्वारा प्रस्तुत की गई है। हिन्दू या वैदिक धर्म, जो दक्षिणी पश्चिमी एशिया के तीन धर्मों, यहूदी, ईसाई तथा मुस्लिम के आरम्भ से पहले का है विश्वास करता है कि पृथ्वी पर जीवन के विकास के चार महत्वपूर्णकाल हैं। प्रत्येक काल की एक अवस्था है जिसे युग कहते हैं। जो लाखों वर्षों का होता है। इस प्रकार १-सतयुग (सत्य की अवस्था), २-त्रेता युग (जिसमें मात्र तीन चौथाई सत्य बचता है), ३-द्वापर युग (यहाँ केवल आधा सत्य ही रहता है) तथा ४-कलियुग (जिसमें सारा सत्य नष्ट हो जाता है)। काल या युग जिसमें हम अब रहते हैं कलियुग है जो अंधकार युग भी कहलाता है। कलियुग के अन्त के साथ यह चार युग का चक्र पुनः बिना रूके चलता रहता है। प्रत्येक युग में एक ईश्वरीय सत्ता जो अवतार कहलाती है, पृथ्वी पर अवतरित होती है और विकास का रास्ता दिखलाती है। वर्तमान में विश्व कलियुग के अन्तिम चरण से गुजर रहा है। कलियुग झगडे, विरोध, हिंसा तथा विनाश का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दू भविष्यवाणियों के अनुसार कलियुग के अन्त में एक ईश्वरीय सत्ता जिसे कल्की कहते हैं पृथ्वी पर मानव के रूप में अवतरित होगी। कल्की समस्त विश्व के मनुष्यों के व्यवहार में आध्यात्मिक क्रान्ति के द्वारा धनात्मक परिवर्तन लायेंगे जो स्थायी शान्ति का परिचायक होगा।

गुरुदेव कहते हैं कि भगवत गीता में भी कृष्णजी ने अर्जुन को कहा है (अध्याय ४ श्लोक ७ व ८) –  – “हे भारत (अर्जुन) जब-जब धर्म की हानि (और) अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात प्रकट करता हूँ। साधु पुरूषों का उद्धार करने के लिये और दूषित कर्म करने वालों का नाश करने के लिये तथा धर्म की स्थापना करने के लिये युग-युग में प्रकट होता हूँ”।

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प्रश्न – गुरुदेव के कम्फर्टर होने के बारे में दुनियां के अन्य धर्म क्या कहते हैं?

उत्तर –  यहूदियों और ईसाइयों दोनों ने जो बाइबल को मानते हैं, तीसरे तथा अन्तिम पैगम्बर के आगमन के बारे में भविष्यवाणी की है। ओल्ड टेस्टामेन्ट (पुराना वसीयतनामा), बाइबल जिसे यहूदी लोग मानते हैं, में, भविष्यवक्ता मलाकी ने भविष्य में आने वाले पैगम्बर के बारे में भविष्यवाणी की है जिसे वह “एलिय्याह” कहता है। न्यू टेस्टामेन्ट (नवीन वसीयतनामा), जिसमें ईसामसीह के सुसमाचार हैं (एन्जिल) बाइबल जिसे कैथोलिक्स मानते हैं, में, पैगम्बर के आगमन के बारे में एक भविष्यवाणी, और किसी ने नहीं, स्वयं जीसस ने की है जिसे वह ‘कम्फर्टर‘ कहता है।

अवतार या पैगम्बर के आने के बारे में तीन विभिन्न धर्मों ने जो भविष्यवाणियाँ की हैं वह आश्चर्यजनक समानतायें रखती हैं। उन सभी ने २१ वीं शताब्दी में मानवता के विरूद्ध युद्ध, अकाल, भाई के द्वारा भाई की हत्या तथा प्राकृतिक आपदा द्वारा भयंकर ईश्वरीय प्रतिकार की भविष्यवाणी की है। मानवता के लगभग पूर्ण विनाश से, केवल निष्ठावान विश्वासपात्रों की रक्षा करने हेतु, अन्तिम अवतार या पैगम्बर के आने की बात वह कहते हैं।

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प्रश्न – कुछ विस्तार से बताएँगे कि भारत में तो गुरुदेव कल्कि के रूप में उद्धार कर रहे हैं पर विश्व के अन्य धर्म गुरुदेव को कम्फर्टर या मसीहा कैसे स्वीकार करेंगे? इस बारे में उन धर्मों के ग्रंथों ने भी क्या कम्फर्टर कि कोई पहचान या चेतावनी बताई है?

उत्तर – भविष्यवाणियों का तुलनात्मक अध्ययन एक समझदार पाठक तथा मनन करने वाले को शीघ्र ही इस निर्णय पर पहुँचा देगा कि हिन्दू, यहूदी तथा ईसाई यह तीनों ही धर्म तीन विभिन्न पैगम्बरों के बारे में नहीं कह रहे हैं बल्कि वास्तव में पृथ्वी पर ईश्वरीय नियम को पुनर्स्थापित करने के लिये एकमात्र वही दिव्य सत्ता अवतरित हुई है। अपने विश्वास के अनुसार मनुष्य ईश्वर को विभिन्न नामों द्वारा पुकार सकता है लेकिन वह वही दैवीय शक्ति रहती है, ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य समान रूप से समस्त विश्व पर चमकता है यद्यपि वह विभिन्न नामों से पुकारा जा सकता है।

इन भविष्यवाणियों में गुरू सियाग की एक झलक दी गई थी, १९८४ में बाइबल के खास भाग के बार-बार देखे गये दृश्यों में उनके स्वयं के भावी रोल के बारे में न्यू टेस्टामेन्ट के ईसा के सुसमाचारों में से कुछ अंश जो उन्हें स्वप्न में दिखाये गये थे पृथ्वी पर ईश्वरीय नियम तथा स्थायी शान्ति स्थापित करने हेतु अन्तिम पैगम्बर या अवतार के लिये जीसस द्वारा बोले गये शब्दों का अनुसरण करते हुए दिखलाये गये थे।

जीसस, जो मोजैज के पश्चात दूसरे पैगम्बर माने जाते हैं उन्होंने स्वयं तीसरे एवं अन्तिम पैगम्बर या अवतार के आगमन की भविष्यवाणी की थी। “परन्तु जब वह सहायक आयेगा जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूँगा, अर्थात सत्य का आत्मा, जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी ओर से गवाही देगा।” (जॉहन १५:२६) .“और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ हो” (जॉहन १५:२७ )

जब जीसस ने हमेशा के लिये दूर चले जाने को कहा, उनके शिष्य बहुत ज्यादा उदास हो गये। उन्होंने उनसे दूर न जाने के लिये तर्क किये। इस पर जीसस ने जवाब दिया “तो भी मैं तुमसे सच कहता हूँ कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास न आयेगा, परन्तु यदि मैं जाऊँगा तो मैं उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा” (जॉहन १६:७)

यह स्पष्ट है कि जीसस केवल सहायक के आने के बारे में ही नहीं बोल रहे थे बल्कि सहायक के आगमन हेतु दुनियाँ को तैयार कर रहे थे। इस बारे में जीसस बाइबल में कहते हैं कि जब सहायक आयेगा तो विश्व उसे कैसे पहचानेगा। आप इन को पढ़ कर समझ पाएंगे कि असली मसीहा कि क्या पहचान होगी?

चेतावनी – जीसस ने पहले चेतावनी दी कि उस समय बहुत से झूठे धोखेबाज उठ खडे होंगे और ईश्वर द्वारा भेजे गये सहायक होने की घोषणा करेंगे। “और जब वह जैतून पहाड पर बैठा था तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हमसे कह कि यह बातें कब होंगी? और तेरे आने का और जगत के अन्त का (युग परिवर्तन का) क्या चिन्ह होगा?” (मैथ्यू २४:३). “और यीशु ने उनको उत्तर दिया, सावधान रहो कोई तुम्हें न भरमाने पाये”। (मैथ्यू २४:४). “क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे कि मैं मसीहा हूँ और बहुत सों को भरमायेंगे”। “और बहुत से झूठे भविष्यवक्ता उठ खडे होंगे और बहुतों को भरमायेंगे”, (मैथ्यू २४:११). “उस समय यदि कोई तुमसे कहे कि देखो मसीहा यहाँ है या वह है तो प्रतीत न करना”।(मैथ्यू २४:२३). “क्योंकि झूठे मसीहा और झूठे भविष्यवक्ता उठ खडे होंगे, और बडे चिन्ह और अद्भुत काम दिखायेंगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें”, (मैथ्यू २४:२४). “देखो, मैंने पहले से तुमसे यह सब कुछ कह दिया है”, (मैथ्यू २४:२५). “इसलिये यदि वे तुमसे कहें, देखो वह जंगल में है, तो बाहर न निकलना, देखो वह कोठरियों में है तो प्रतीत न करना”,

तो चेलों ने पूछा कब आएगा मसीहा – जैसे ही चेले शान्त हुए यह जानने के लिये कि सहायक कब आयेगा, यीशु ने उसके आने के सही समय की भविष्यवाणी करने में यह कहते हुए असमर्थता व्यक्त की “उस दिन और उस घडी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र परन्तु केवल पिता”, फिर भी बाइबल के अनुसार यीशु ने बाद में इंगित किया कि कब सहायक आयेगा।

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प्रश्न – आपने उपरोक्त प्रश्न के आखिर में कहा है कि – फिर भी बाइबल के अनुसार यीशु ने बाद में इंगित किया कि कब सहायक आयेगा। ये समय कब आएगा? ये किस प्रकार समझा जा सकता है कि सन २००० से पूर्व आने वाले मसीहा गुरुदेव ही हैं?

उत्तर – मृत्यु के बाद ४० दिन तक यीशु की आत्मा मृत्यु लोक में घूमती रही। वह आत्मा ४० दिन तक अपने चेलों से मिलकर परमेश्वर के राज्य की बातें करती रही। चालीसवें दिन उनसे मिलकर आज्ञा दी कि “यरूशलम को न छोडो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिसकी चर्चा तुम मुझसे सुन चुके हो। क्योंकि यूहन्ना (सैंट जॉहन) ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है, परन्तु थोडे दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से (में) बपतिस्मा पाओगे ”(Ye shall be baptized with the Holy Ghost not many days hence)। (एक्ट ऑफ एपोस्टल्स १:४-५)

यहाँ पवित्रात्मा से यीशु का मतलब सहायक से है जो उसके बाद आयेगा तथा लोगों को बपतिस्मा देगा। यहाँ शब्द “Not many days hence”का स्पष्ट अर्थ है कि “दो दिन से अधिक नहीं” क्योंकि तीन दिन होते ही many days हो जाते हैं। “Not many days hence” के अनुवाद का मतलब परमात्मा के दिनों से है, अगर उसका शब्दशः अर्थ लगाया जाता है तो यीशु की भविष्यवाणी भौतिक बन जाती है जो नहीं हो सकती। यीशु, ईश्वर का पुत्र झूठ कभी नहीं बोल सकता। इसलिये यीशु ने स्पष्ट भविष्यवाणी की है कि “आकाश ओर पृथ्वी टल जायेंगे, मेरी बातें कभी न टलेंगी” (इंजील, सैंट मैथ्यू २४:३५)

जब यीशु कहते हैं कि “Not many days hence” यह भविष्यवाणी यीशु ने नश्वर शरीर को त्यागने के बाद आत्मभाव से की है (अतः इसका अर्थ ईश्वर के समय के अनुसार ही लगाया जा सकता है) जिसका वर्णन सेन्ट पीटर द्वितीय में किया गया है” हे प्रियो यह बात तुमसे न छिपी रहे कि प्रभु के यहाँ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं”।(३:८)

इस प्रकार यीशु की उपर्युक्त भविष्यवाणी के अनुसार मृत्यु लोक के प्रथम एक हजार वर्ष पूर्ण होने पर ईश्वर का एक दिन पूर्ण होता है, जब मृत्यु लोक के दो हजार वर्ष पूर्ण हो जायंगे तो ईश्वर के दो दिन पूर्ण होकर तीसरा दिन प्रारम्भ हो जायेगा। अतः २०वीं सदी के अन्त से पहले प्रकट होकर अगर वह सहायक यदि आध्यात्मिक शक्तिपात दीक्षा नहीं देता, तो यीशू की आत्मभाव से की गई भविष्यवाणी “Ye shall be baptized with the Holy Ghost not many days hence” असत्य प्रमाणित होती, लेकिन गुरुदेव सियाग ने २०वीं सदी के उत्तरार्ध में ही शक्तिपात दीक्षा देना प्रारम्भ कर दिया है, जो यीशु की भविष्यवाणी के अनुसार है।

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