गुरु सियाग योग

बीमारियों के ठीक होने से सम्बन्धित पूछे गए कुछ प्रश्न

प्रश्न: क्या गुरुदेव से मंत्र लेते ही मेरी बीमारी ठीक हो जाएगी?
गुरु सियाग से केवल मंत्र ले लेना ही पर्याप्त नहीं है | शिष्य को मंत्र का निरंतर मानसिक जप एवं ध्यान करना पड़ेगा | जल्दी फायदा होने के लिए नियमित ध्यान (बिना मिस किये) एवं मंत्र जप (अधिकतम सम्भव) करना पड़ेगा | गुरु सियाग की विधि एक अध्यात्मिक विधि है, कोई एक दिन में होने वाला जादू नहीं है | ये विधि शरीर को सहज रूप में ठीक करती है | शिष्य को धैर्य रखना चाहिए, परिणाम साधना के अनुसार आते है | डिप्रेस न होकर धैर्यपूर्वक नियमित साधना करनी चाहिए |

कुछ शिष्यों ने बीमारी से बहुत जल्दी ठीक होकर, कुछ ही दिनों में बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त किये | तो उनसे बात करने के बाद पता लगा कि ये वो शिष्य थे जिन्होंने दूसरे किसी भी प्रकार के धार्मिक आडम्बरों को छोड़कर, केवल गुरु सियाग की विधि को पूर्ण रूप से अपनाया और दवाइयों की भी चिंता किये बिना केवल और केवल गुरुदेव से ठीक होने के लिए प्रार्थना की |

प्रश्न : चूँकि में गुरु सियाग साधना करता हूँ तो क्या में डॉक्टर की बताई गयी दवाई लेना जारी रखूं ?
रोगी निम्न दो परिस्थितियों में दवाई लेना जारी रख सकते हैं |

1 रोगी बहुत कमजोर है और उसमे मंत्र जाप करने एवं ध्यान करने की पर्याप्त शक्ति नही है | तो शरीर मजबूत होने एवं पर्याप्त शक्ति आने तक दवाई जारी रखी जा सकती है | दवाई भी उस समय तक प्रार्थना करके ली जाये |

2 रोगी का गुरु सियाग में पूरा भरोसा नहीं है | यदि पर्याप्त भरोसा नहीं है तो रोगी इस विधि को छोड़ने के बहाने तलाश करेगा या कहेगा कि तबियत ज्यादा ख़राब हो रही है | भरोसा रोगी का स्वयं इस विधि में नहीं है पर दोष गुरु सियाग की साधना विधि को देगा | इस स्तिथि में ज्यादा अच्छा होगा कि रोगी तब तक दवाई लेता रहे जब तक कि उसका गुरु सियाग में पूर्ण भरोसा न हो जाये और रोगी स्वयं ही दवाई रोकने की इच्छा अन्दर से जाहिर करे |

विशेष नोट : गुरु सियाग कभी भी शिष्य को मेडिकल इलाज या दवाइयों के लिए मना नहीं करते | गुरुदेव का कहना है कि योग की इस विधि के लिए पूर्ण समर्पण होना चाहिए जैसी कि मानसिक स्थिति दवाई लेते समय होती है | गुरुदेव कहते है कि में तुमको अन्दर का डाक्टर चेतन करने की विधि बताऊंगा | गुरदेव कहते हैं कि मैं विज्ञान को कभी नहीं नकारता हूँ | विज्ञान एक सच्चाई है पर अधूरी है | अलेक्ज़न्दर के गुरु एरिस्टोटल थे, वे अपने समय के महान वैज्ञानिक थे | उन्होंने कहा था कि विज्ञान एक अधूरा दर्शन है जबकि दर्शन एक पूर्ण विज्ञान है | गुरुदेव कहते है कि डाक्टर तुम्हारे अन्दर बैठा है वो तुम्हें अंदर से गाइड करेगा | उसके पास तुमको देने को बहुत कुछ है | मैं तुम्हारा परिचय उस अंदर वाले से करवा दूंगा | उस अन्दर वाले से दोस्ती करना तुम्हारा काम है | उसके लिए तुमको निरंतर दिए हुए मंत्र का जाप करना पड़ेगा |

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