गुरु सियाग योग

ये पोस्ट मुख्यतः उन नये साधकों के लिए है जो कभी गुरुदेव से भौतिक रूप से नहीं मिले | वे केवल फोटो और ऑनलाइन प्राप्त मंत्र के आधार पर साधना कर रहे हैं लेकिन उनकी कुछ प्रचार सम्बन्धित समस्याएं हैं | उनकी मुलाकात जब पुराने साधकों से होती है तो वे कन्फ्यूज हो जाते हैं कि वे कहाँ जाएँ? वे प्रचार कार्य भी करना चाहते हैं | पुराने साधक जो काफी समय तक गुरुदेव के सम्पर्क में थे उनकी स्थान विशेष के साथ गुरु प्रेमवश धारणाएं जुडी हुई हैं | अतः नए साधक को, जोधपुर का साधक – जोधपुर आश्रम के लिए, बीकानेर का साधक – पलाना या जामसर के लिए, पाली मारवाड का साधक – काजलवास के लिए, मुंबई, कोटा, जयपुर, अजमेर आदि के साधक लोकल आश्रमों के लिए प्रेरित करते हैं | नये साधकों का प्रश्न है कि गुरुपूर्णिमा या जन्म दिन मनाने के लिए किसी स्थान विशेष पर जाना जरुरी है ? या साधना के अलावा बाकी दिनों में गुरु प्रचार किस प्रकार करें? प्रचार करने के लिए किसी जगह ज्वाइन करना जरुरी है? समय कम है तो प्रचार किस प्रकार करें? तो

इस प्रश्न के सम्बन्ध में नए साधकों को यह पता होना चाहिए कि गुरुदेव भौतिक रूप से जिस स्थान पर भी होते थे, गुरुपूर्णिमा या जन्मदिन उसी स्थान पर मनाया जाता था | लेकिन गुरुदेव की तरफ से एसा कोई आदेश नहीं था कि हर साधक को गुरुपूर्णिमा या जन्मदिन के अवसर पर गुरुदेव के पास आना ही है | पुराने साधकों द्वारा एसा गुरुदेव के प्रति प्रेमवश, आदरवश, श्रद्धावश किया जाता था ताकि किसी ना किसी प्रकार से गुरुदेव के साक्षात् दर्शन एवम आशीर्वाद का लाभ प्राप्त हो सके | गुरुदेव के भौतिक शरीर में उपस्थित रहते हुए हर साधक की इच्छा गुरुदेव से मिलने की रहती थी, अतः पास रहने वाला गुरुवार को, दूर रहने वाला जन्मदिन या गुरुपूर्णिमा अवसर पर गुरुदेव के दर्शन लाभ प्राप्त करता था |

लेकिन नए साधक को पता होना चहिये कि गुरुदेव का एवं दादागुरुदेव का फोटो एवं मंत्र प्राप्त होने के बाद किसी भी स्थान पर जाने की बाध्यता नहीं है | इस साधना को घर रहकर और गुरुदेव को ह्रदय में विराजमान मान कर बहुत आसानी से किया जा सकता है | जामसर गुरुदेव के गुरु श्री गंगाईनाथ जी की समाधि है, एवं काजलवास नाथों की समाधि है | इन स्थानों पर स्वेच्छा से कभी भी जाया जा सकता है | जाने आने के समय का कोई बंधन नहीं है | ना ही किसी दिन विशेष का बंधन है |

नया साधक जानना चाहता है कि मैं गुरुदेव की इस कृपा के बदले में क्या कर सकता हूँ? या मैं इस मिशन में किस प्रकार योगदान दे सकता हूँ? ये पूर्णत आपकी श्रद्धा पर निर्भर है | गुरुदेव के इस मिशन को योगदान देने के बहुत तरीके हैं| गुरुदेव कहते हैं कि नियमित ध्यान व नाम जप करें और अपने अनुभव दूसरों को बतायें| इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों को देश-विदेश में बताने के प्रयास व इच्छा रखें| आप श्रद्धानुसार – या हैसियतानुसार अकेले या मित्र को साथ लेकर (या सुविधानुसार ग्रुप बनाकर) —

• पैम्फलेट प्रिंट करवाकर अपने क्षेत्र में बाँट सकते हैं | जैसे कि अखबार में पैम्फलेट रखवा कर बँटवा सकते हैं|
• ऑफिस, दुकान या बिजनेस के द्वारा सम्पर्क में आने वाले लोगों को गुरुदेव के बारे में बता सकते हैं |
• सुबह-शाम या छुट्टी के दिन पार्क, मंदिर या पब्लिक प्लेस (सार्वजनिक स्थानों) में जाकर प्रचार कर सकते हैं |
• स्कूल, कॉलेज आदि में प्रिंसिपल से अनुमति लेकर प्रचार कर सकते हैं |
• फैक्ट्री में प्रबंधन से बात कर सिद्धयोग का सेशन करवा सकते हैं |
• विभिन्न संस्थाओं के नोटिस बोर्ड्स पर गुरुदेव के पैम्फलेट लगवा सकते हैं |
• जान पहचान के आधार पर अखबार, टी.वी. या अन्य मीडिया में गुरुदेव के बारे में समाचार निकलवा सकते हैं |
• लोकल केबल से सम्पर्क कर स्ट्रिप चलाई जा सकती है या गुरुवार के दिन सी.डी. चलवाई जा सकती है |
• सोशियल मीडिया द्वारा घर या ऑफिस से खाली समय में प्रचार किया जा सकता है |
• यूनियन से या ऑफिस से अनुमति लेकर बस व ट्रक में गुरुदेव के स्टिकर लगा सकते हैं |
• शहर के ऑटो/टेक्सी यूनियन से बात कर उनके पीछे, फ्लेक्स, स्टिकर आदि लगवा सकते हैं
• एक-एक कर आपके कस्बे या शहर के सारे सरकारी विभाग कवर किये जा सकते हैं | हर विभाग में किसी भी एक को इतना संतुष्ट कर लें कि वो उस विभाग में अन्य लोगों के लिए माध्यम बन जाये |
• शहर के अनाथालय, जेल, नशा-मुक्ति केन्द्रों में सम्पर्क किया जा सकता है |
• जिले के एन.जी.ओ. से मिला जा सकता है |
• होस्पिटल के बाहर स्टॉल लगाया जा सकता है |
• शहर के पुलिस-थानों एवं आर्मी (यदि आपके शहर मैं हो तो ) से सम्पर्क कर सकते हैं |
• दोपहर जब शॉप पर ग्राहक संख्या कम होती है तब किसी भी एक मार्केट का चुनाव कर दुकानदारों से सम्पर्क हो सकता है |
• शाम के समय शहर की आवासीय बस्तियों व कोलोनीज में जाया जा सकता है |
• स्कूल के बच्चों को छुट्टी के समय पैम्फलेट बांटे जा सकते हैं |
• फैक्ट्री से शिफ्ट परिवर्तन के समय घर जाने वाले स्टाफ को सामग्री वितरित की जा सकती है |
• रेलगाडियों के टोइलेटस में अनुमति लेकर स्टिकर लगा सकते हैं |
• रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर रवाना होने वाले यात्रियों को एवं स्टैंड पर प्रतीक्षालय में बैठे लोगों से सम्पर्क कर सकते हैं |
• आपके शहर के प्याऊ, चाय, व पान की दुकानों पर गुरुदेव के स्टिकर्स चिपकाये जा सकते हैं |
• हर शहर में कई प्रकार की जातियों के समाज, महासभाएं होती हैं उनकी कार्यकारिणी के मेम्बर्स को जाकर बताया जा सकता है कि गुरु सियाग सिद्धयोग मानवता के लिए है, न कि किसी जाति या धर्म का | इस प्रकार विभिन्न समाज के बहुत सारे लोग एक साथ एक मंच पर एकत्रित हो सकते हैं |
• प्रबुद्ध वर्ग के लोगो से कुछ समय नियमित सम्पर्क द्वारा उन्हें लम्बे समय तक जोड़ कर रखा जा सकता है |
• महानगरों में न्यूज़ पेपर्स, लोकल एरिये के लोगों को किसी स्थान पर एकत्रित कर सकते हैं | लोकल न्यूज़ पेपर्स में छोटा सा विज्ञापन देने से वे गुरुदेव पर आर्टिकल भी निकालने को तैयार हो जाते हैं |
• जहाँ भी जायें – आफिस, कालेज, इंडस्ट्री, समाज, कम से कम एक व्यक्ति को पूरा समय देकर गुरुदेव का दर्शन भली-भांति समझाएं | वो व्यक्ति बाद में उस स्थान पर उत्प्रेरक का कार्य करेगा |
• गांवों में ग्राम प्रधान या सरपंच आदि से मिलकर लोगों को एकत्र कर गुरुदेव के बारे में बताया जा सकता है |
• गांव की चौपाल एवं चाय की दुकानों पर आने वालों से गुरुदेव के बारे में चर्चा की जा सकती है |
• आसपास के इलाकों के मेले में या त्यौहारों के अवसर पर स्टाल लगा सकते हैं |

अनुरोध
नए एवं पुराने सभी साधकों से अनुरोध है कि वे आपस में केवल गुरुदेव की साधना से सम्बन्धित बातें करें एवं एक दुसरे को साधना अच्छी करने की दिशा में प्रोत्साहित करें | व्यर्थ की गॉसिप या गप-शप से साधना में फायदा ना होकर व्यर्थ की बातों से दिमाग साधना के लिए हतोत्साहित होने लगता है | जिसके कारण गुरुदेव के दिव्य लक्ष्य और गुरुदेव की गरिमा पर भी विपरीत असर पड़ता है |

नए साधकों से अनुरोध है कि वे साधना शुरू करने के बाद परिणाम मिलते ही, बहुत तेज़ी से प्रचार कार्य की ओर अग्रसर हो जाते हैं, लेकिन प्रचार के अनुभव की कमी के कारण नई जगहों पर कई बार निरुत्तर हो जाते हैं | जिससे उनकी स्वयम की साधना पर भी असर पड़ता है | वे हतोत्साहित महसूस करते हैं | वे एसी स्थिति में साधना को और मन से करें एवं ऐसे किसी पूर्व साधक से सम्पर्क करें जो प्रचार कार्य को काफी समय से कर रहा हो | निश्चित लाभ होगा |

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