कुछ साधक कहते हैं कि कई साल बाद भी गुरु सियाग योग निरंतर करने के बाद भी मनवांछित परिणाम नहीं मिल रहे हैं, क्या कारण हो सकते हैं ?
इस प्रश्न के उत्तर साधक अपने आप दे देते हैं – आप स्वयम ही देखिये साधको के जबाब –
मनवांछित परिणाम ना पाने वाले कुछ साधको के जबाब –
• सुबह ध्यान का समय नहीं मिलाता, पर शाम को बिल्कुल करते हैं,
• शाम को ध्यान का समय नहीं मिलता, लेट हो जाते हैं,
• कई बार सुबह का या शाम का ध्यान मिस हो जाता है,
• ध्यान तो करते हैं पर नाम जप नहीं हो पाता,
• नाम जाप करते हैं पर ध्यान नहीं कर पाता,
• घर से बाहर होते हैं तो ध्यान नहीं कर पाते,
• किसी के प्रति गुस्सा, ईर्ष्या, या नाराज़गी का भाव आता है तो नाम जाप याद नहीं आता,
• जब दुखी, नर्वस या चिंता में होते हैं तो नाम जाप याद नहीं आता,
• बीमार होते हैं हैं तो मन बहुत चिंताओं से भर जाता है उस समय नाम जाप याद नहीं आता,
• सुबह शाम ध्यान के अलावा कई बार पूरा पूरा दिन निकल जाता है गुरुदेव याद ही नहीं आते,
• नाश्ता, खाना – पीना ग्रहण करने से पहले गुरुदेव का नाम याद नहीं आता,
• पढाई शुरू करने से पहले गुरुदेव का ध्यान नहीं आता,
• घर में पारिवारिक तनाव होने पर, पूरी चिंता गुरुदेव पर छोड़ने का याद नहीं आता,
• शादी फंक्शन में जाते हैं तो ध्यान नहीं हो पाता,
• घर पर मेहमान या पार्टी होने पर ध्यान नहीं हो पाता,
• दिमाग राजनीति करता है पर उस समय गुरुदेव याद नहीं आते,
यानि ध्यान व् नाम जप नहीं कर पाने के हज़ार कारण हो सकते हैं, फिर गुरुदेव की साधना को जिम्मेदार क्यूँ ठहराया जाये कि लम्बे समय से ध्यान कर रहे हैं फिर भी फायदा नहीं हो रहा | अगर आप इस साधना से ज्यादा अन्य बातों को ज्यादा महत्व देंगे तो साधना परिणाम कैसे देगी ? जब आपके पास गुरुदेव के लिए मन से समय नहीं है या आप गुरुदेव के ध्यान को प्रथमिकता से नहीं ले रहे हैं तो ईश्वरीय शक्ति के पास भी आपकी इच्छाओं को पूरा करने लिये समय नहीं है | या ईश्वरीय शक्ति भी कृपा अपनी सुविधानुसार करेगी |
मनवांछित परिणाम पाने वाले कुछ साधकों के जबाब :
• किसी दिन खाना – पीना, चाय – पानी, नहाना – ब्रश करना भूल सकते हैं, पर एसा एक भी दिन नहीं गया जब दो बार ध्यान न किया हो और मुसीबत, चिंता या तनाव में नाम जाप न किया हो,
• सुबह या शाम के समय हवाई जहाज़ में, रेल में, बस में, कार में, टैक्सी में कहीं भी यात्रा कर रहे हों पर लेटे हुए या बैठे हुए दो बार का ध्यान अवश्य किया,
• चाय, पानी, खाना, नाश्ता, से पहले 2 सेकेण्ड के लिए ही सही, पर गुरुदेव को याद अवश्य करते हैं,
• पढने बैठने से पहले, ऑफिस जाने से पहले, काम के लिए निकलने से पहले, घर का काम शुरू करने से पहले, या कोई भी कार्य शुरू करने से पहले गुरुदेव का नाम लेकर शुरू करते हैं,
• घर में, या ऑफिस में या जहाँ भी होते हैं, व्यवहार इस प्रकार का होता है कि यदि गुरुदेव साथ बैठे होते तो व्यवहार कैसा होता | उसी अनुसार आचरण करने का प्रयास रहता है |
• मन में भाव रहता है कि दुनियां इधर की उधर हो जाये पर दो बार का ध्यान तो करना ही है, कुछ भी क्यों न हो जाये |
• घर में शादी हुई हो या कोई दुर्घटना पर दो बार का ध्यान कभी मिस नहीं किया,
• कभी घर में मेहमानों की वजह से स्थान नहीं मिला तो घर के बाथरूम में या छत पर जाकर ध्यान किया | पर ध्यान मिस नहीं किया,
• घर के किसी सदस्य से पारिवारिक तनाव होने पर उस टोपिक को छोड़कर मंत्र जाप करना आरम्भ कर देते हैं,
• किसी भी बीमारी की चिंता आते ही गुरुदेव से प्रार्थना या मन्त्र जाप आरम्भ कर देते हैं,
• मन की किसी भी उलझन को दूर करने के लिए गुरुदेव से प्रार्थना करना तुरंत याद आता है,
• मन की किसी भी चिंता को, मंत्र याद रखने के लिए एक अलार्म के रूप में लेते हैं यानि चिंता आते ही तुरंत मंत्र जाप याद आता है | जाप ज्यादा बार होता है,
• पति, पत्नी, मित्र, बच्चे, नौकरी, व्यवसाय आदि किसी के भी बारे में चिंता आते ही मन्त्र जाप शुरू कर देते हैं, कुछ ही समय में वो चिंता का कारण मिट जाता है.
यानि इस स्थिति में कुछ भी हुआ, ध्यान व् नाम जप मिस नहीं किया गया | यानि ध्यान न कर पाने के हजार बहाने हैं और ध्यान करना है तो इच्छा ही बहुत है | तो आप स्वयं ही अनुमान लगा सकते हैं कि साधना के परिणाम किस प्रकार आपकी श्रद्धा व् समर्पण पर निर्भर करते हैं |
यहाँ पर एक बात स्पष्ट है कि गुरुदेव पर भरोसा करने का मतलब है कि चिंताएं गुरुदेव पर छोड़ देना और किसी भी बात की चिंता आते ही गुरुदेव से कहना कि आज तक स्वयं का दिमाग लगाकर चिंताओं से मुक्ति पाने का बहुत प्रयास किया पर अब ये लगाम गुरुदेव आपको सोंपता हूँ, फिर आप देखिये कि आपके बनाये गए प्लान की तुलना में, ईश्वरीय प्लान कितना जल्दी और नए तरीके से कार्य करते हैं | अगर आपके मन में चिंता है तो समझ जाइये कि सघन मंत्र जाप करने का समय आ गया और परिस्थितियों का नियन्त्रण गुरुदेव के हाथों में देना है यानि मन्त्र जाप करना है |