गुरु सियाग योग में एक दिव्य मंत्र का मानसिक जप (बिना होठ या जीभ हिलाए ) एवं फोटो का ध्यान (आज्ञाचक्र पर ) किया जाता है | गुरु सियाग योग में दीक्षित होने का अर्थ है कि आप केवल और केवल गुरु सियाग की आवाज में मंत्र सुने | उस दिव्य मंत्र का जाप अधिकतम जाप करना होता है |कुछ समय तक निरंतर जप करने से ये मंत्र अजपा हो जाता है यानि मंत्र अन्दर से अपने आप जपा जाता है | अजपा जप श्रधा व् जाप के प्रति सघनता एवं नियमितता पर निर्भर करता है | इस कारण ये अजपा कुछ दिनों से लेकर कुछ महीने ले सकता है जो कि साधक की लगन पर निर्भर करता है | इसके अलावा गुरु सियाग योग में साधक को दिन के कम से कम दो बार 15 मिनट का ध्यान सुबह शाम करना होता है |
- home
- GSY अभ्यास
- फायदे
- FAQ (प्रश्न)
- गुरु सियाग
- FAQ 2
- उपलब्ध जानकारी का अधिकतम उपयोग कैसे?
- गुरु तो बहुत से हैं पर गुरु सियाग क्यूँ?
- गुरुदेव व् साधना से सम्बन्धित प्रश्न
- सब जगह कथा प्रवचन क्यूँ हो रहे हैं?
- बीमारियों से ठीक होने से सम्बन्धित
- दुसरे के लिए ध्यान करने के बारे में
- दिव्य मंत्र कैसे कार्य करता है ?
- ध्यान के समय मन में बहुत विचार आते हैं?
- ध्यान के प्रति लगन में कमी क्यूँ होती है ?
- साधना में आने वाली बाधाएँ
- साधरण पूजा से परिणाम क्यूँ नहीं आते?
- परिणाम जल्दी क्यूँ नहीं मिलते?
- नाम – जाप ध्यान के बाद भी गलती कहाँ हो रही है ?
- मुसीबत बार बार क्यूँ आती है ?
- साधना के फायदे जल्दी व् धीरे, अलग अलग क्यूँ ?
- मानसिक जप के बारे में
- प्रचार कार्य कैसे शुरू करें ?
- साधना में समर्पण से क्या अर्थ है?
- कृष्ण के मंत्र और मन्दिर में क्या अंतर है?
- गृहस्थ जीवन में रहते हुए भोग और मोक्ष का मतलब?
- खुद का ध्यान अच्छा पर दुसरे नहीं सुनते
- नए साधक नये आश्रम बनाने के लिए क्या करें?
- साधक आपस में विरोध क्यूँ महसूस करते हैं ?
- स्वयम के स्तर पर प्रोग्राम कैसे मेनेज करें?
- भौतिक शरीर न होने पर साधना प्रभावित होगी ?
- कुण्डलिनी
- शक्तिपात दीक्षा
- GSY का विज्ञान