गुरु सियाग योग

गुरु सियाग योग में एक दिव्य मंत्र का मानसिक जप (बिना होठ या जीभ हिलाए ) एवं फोटो का ध्यान (आज्ञाचक्र पर ) किया जाता है | गुरु सियाग योग में दीक्षित होने का अर्थ है कि आप केवल और केवल गुरु सियाग की आवाज में मंत्र सुने | उस दिव्य मंत्र का जाप अधिकतम जाप करना होता है |कुछ समय तक निरंतर जप करने से ये मंत्र अजपा हो जाता है यानि मंत्र अन्दर से अपने आप जपा जाता है | अजपा जप श्रधा व् जाप के प्रति सघनता एवं नियमितता पर निर्भर करता है | इस कारण ये अजपा कुछ दिनों से लेकर कुछ महीने ले सकता है जो कि साधक की लगन पर निर्भर करता है | इसके अलावा गुरु सियाग योग में साधक को दिन के कम से कम दो बार 15 मिनट का ध्यान सुबह शाम करना होता है |

error: Content is protected !!