प्रश्न – गुरुदेव का कहना है कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भोग और मोक्ष सम्भव | इसका मतलब इस ध्यान को करने से मोक्ष के साथ-साथ हमारे पास भोग यानि सुख-सुविधा अपने आप बढ़ेगी? या हमें खूब एशो आराम के साधन भी अपनाने चाहिए? क्या भोग से यही तात्पर्य है?
उत्तर – यहाँ भोग का मतलब है – आपने पिछले जन्मों में जाने अनजाने में जो भी अच्छे-बुरे कर्म किये हैं, गुरुदेव उन सब कर्मों का भोग इसी जन्म में भुगतवा देंगे | वरना उन कर्मों के भोग के लिए आगे पता नहीं कितने जन्म और लेने पड़ते; पिछले जन्मों में सूली की सज़ा के बराबर किए गए पापों की सज़ा गुरुदेव की कृपा से काँटा चुभने के बराबर की सज़ा से बेलेंस हो जाती है। अर्थात गुरुदेव की इस साधना के साथ मोक्ष का रास्ता तो खुलता ही है पर कर्मों के भोग भी गुरुदेव इसी जन्म में बराबर कर देते हैं | आपको भोग से तात्पर्य एशो-आराम से नहीं लगाना चाहिए | पर आपकी भौतिक तरक्की आपकी साधना के अनुसार अपने आप होती जायेगी | उसके लिए आपको केवल मन से प्रार्थना, ध्यान व नाम-जप करना है |