प्रश्न – तो फिर कोई भी गुरु के तरीके से हमारे कार्य होने चाहियें, गुरुदेव सियाग ही क्यों? गुरु सियाग अन्य गुरुओं से अलग कैसे हैं?
उत्तर – अगर तार पतला या सही क्वालिटी का नहीं है तो भी बल्ब नहीं जलेगा या फ्यूज उड़ जायेगा, अर्थात तार में भी लाखों वोल्ट को सहन करने की क्षमता होनी चाहिए | इसी प्रकार गुरु भी स्वयं समर्थ होना चाहिए | तभी वह ईश्वरीय शक्ति का अहसास करा पायेगा | समर्थ का मतलब उपलब्ध या एनलाईटण्ड, कुन्डलिनी शक्ति को नियंत्रित कर सकने वाला, सगुण साकार एवं निर्गुण निराकार, दोनों सिद्धियाँ प्राप्त, जिसके फोटो मात्र से भी दुनियाँ में कहीं भी ध्यान लगे, जो आपको हर प्रकार के बन्धनों से मुक्त रखे, वही गुरु आपके लिए कार्य करेगा | ये सब समर्थताएं (गुण) गुरु सियाग में हैं |
अब सवाल है कि गुरु सियाग औरों से अलग कैसे हैं तो इसके बहुत सारे कारण हैं | समर्थ गुरु सर्वव्यापी होता है | जिस प्रकार एक ही सूर्य पूरी दुनिया को प्रकाश देता है उसी प्रकार समर्थ गुरु भी एक युग में एक ही होता है जो पुरे विश्व के किसी भी कोने में शिष्य के द्वारा ध्यान एवं नाम जप करने मात्र से कृपा करना आरम्भ कर देते हैं |
गुरुदेव सियाग सिद्ध योग में-
>किसी भी प्रकार का पूजा-पाठ, माला, तिलक, चन्दन, आरती, मिठाई, नारियल, लच्छा, दिशा, दिन, व्रत, उपवास, तीर्थ, मंदिर-मस्जिद आदि कर्मकाण्ड सम्मिलित नहीं हैं .
>पूरी दुनिया में कही भी बिना गुरुदेव से मिले, केवल गुरूदेव के फोटो से भी ध्यान लगता है,
>दीक्षा के लिए, गुरुदेव कभी खुद के पास आने को भी बाध्य नहीं करते,
>मंत्र दीक्षा विडियो / आडियो सी.डी. से, टी.वी. से, ई-मेल से भी पूरी तरह कार्य करती है,
>मंत्र-जाप किसी दूसरे (जो स्वयं करने में अक्षम हो जैसे छोटे/नासमझ बच्चे, मानसिक विकृति वाले ) के लिए भी किया जा सकता है,
>गुरुदेव साधक को कोई कोर्स या ट्रेनिंग सेशन अटेंड करने को नहीं कहते,
>गुरु सियाग के सिद्धयोग को करने के लिए योग की कोई प्राम्भिक जानकारी आवश्यक नहीं,
>गुरुदेव कुछ भी छोड़ने या बदलने को नहीं कहते, गुरुदेव का कहना कि तुम कुछ मत छोड़ो, जो वस्तु तुम्हारे लिए सही नहीं हैं वे तुमको छोड़ जायेंगी,
>कोई लेन-देन कि जरूरत नहीं, गुरु सियाग सिद्धयोग पूर्णत निःशुल्क है,
>गुरुदेव कोई डाइरेक्ट या इंडाइरेक्ट रूप से दान नहीं मांगते | कोई रजिस्ट्रेशन नहीं,
>गुरुदेव कभी नहीं कहते कि मेरे को गुरु मानने के बाद किसी दूसरे को गुरु मत बनाओ,
>गुरु सियाग कभी पाप-पुण्य, स्वर्ग-नर्क की बातें करके डराते नहीं हैं |
>गुरुदेव कभी नहीं कहते कि मुझे मत छोड़ना | उनका कहना है मेरे ध्यान से आपका कार्य ना हो तो मुझे छोडकर नए गुरु अपना लो, कोई रोक नहीं हैं |
>आध्यात्मिकता के नाम पर किस्से / कहानियाँ नहीं सुनाते |
>गुरुदेव ऐसा कभी नहीं कहते कि गुरु छोड़ दोगे तो पाप लगेगा | गुरु सियाग तो कहते हैं कि मुझे छोड़ कर किसी और को गुरु बनालो और तुम्हारा काम न हो तो फिर झुककर मेरे से मांग लेना |
>योग के नाम पर कोई कसरत नहीं करवाते |
>गुरुदेव किसी भी प्रकार की दवाई या जड़ीबूटी नहीं बेचते |