कुछ साधकों द्वारा पूछा गया है कि गुरु सियाग के भौतिक रूप से उपस्थित ना होने से क्या साधना पर कोई अंतर पड़ेगा ? कई साधकों की चिंता थी कि गुरुदेव की भौतिक देह ना होने से उनकी साधना पर अंतर पड़ेगा । कुछ का कहना था कि अब ध्यान व साधना का क्या होगा? किसी का कहना था कि अब गुरुदेव से कनेक्शन कैसे होगा ?
इस पोस्ट के माध्यम से बताया जा
रहा है कि शिष्यों एवं साधकों की साधना में कोई अंतर नहीं आएगा | जैसा फायदा पहले हो रहा था बिलकुल वैसा ही होता रहेगा |
· समर्थगुरु कभी नहीं मरते : कई वर्ष पहले गुरुदेव से किसी ने पूछा था कि जब गंगाईनाथजी गुरुदेव को मंत्र देकर ब्रह्मलीन हो गए तब गुरुदेव ने अपनी साधना को कैसे मैनेज किया ? तब गुरुदेव ने उस शिष्य को कहा कि “गंगाईनाथजी तुम्हारे लिए मृत हो सकते हैं लेकिन मेरे लिए नहीं | मेरे लिए तो वो अजर अमर हैं | फिर गुरुदेव बोले : यधपि वो शरीर अब नहीं है पर अब भी गंगाईनाथ जी मुझे निरंतर गाइड करते है |” गुरुदेव के इस कथन से स्पष्ट है कि गुरु की कृपा शरीर द्वारा नियंत्रित नहीं होती है | ये कृपा चेतना के उच्च स्तरों से आती है वही हमें मार्गदर्शन, सुरक्षा एवं भविष्य के लिए उत्साहवर्धन करती है | इसी प्रकार अपन सभी के लिए गुरुदेव द्वारा दिखाया गया ध्यान एवं नाम जप का मार्ग उसी प्रकार शक्तिशाली रहेगा जैसा की पूर्व में रहा है | और वो शक्ति समर्पित साधकों को उसी प्रकार निरंतर गाइड करती रहेगी |
· मंत्र चेतन हैं (संजीवनी) : गुरुदेव द्वारा दिया गया दिव्य मंत्र न केवल गुरुदेव द्वारा चेतन किया गया है बल्कि इस मंत्र को गुरुदेव के भी गुरुओं द्वारा चेतन किया गया है | प्रारम्भ के हर नाथगुरु ने जीवन भर तपस्या करके उस मंत्र को और शक्तिशाली बनाया, फिर उसे योग्यतम चेतन शिष्य को दिया | फिर उस चेतन शिष्य ने जीवन भर उस मन्त्र को जपा एवं उसे और शक्तिशाली फिर उसे अगले शिष्य को दिया | इस प्रकार गुरुदेव द्वारा दिये गए मंत्र में अनेक गुरुओं की साधना की शक्ति भरी हुई है जिस कारण ये संजीवनी मन्त्र है | गुरु सियाग ने गुरुपद की जिम्मेदारी उस समय ली है जब इस विश्व को आध्यात्मिक सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है | क्यों की इस समय विश्व में बहुत अंधकारपूर्ण वातावरण फैला हुआ है | गंगाईनाथ जी कृपा से, गुरुदेव सियाग ने इस मंत्र को किसी एक शिष्य तक ही सीमित ना रख कर मुक्त रूप से सभी को दे दिया | शुरू में गुरुदेव सामूहिक दीक्षा समारोह में केवल गुरुवार को स्वयम उपस्थित होकर मंत्र देते थे | बाद में 2009 में गुरुदेव ने अपने शरीर की सीमाओं को समझते हुए एवं विश्व में बढ़ती हुई परेशानियों से लोगों को राहत प्रदान करने के लिए अपने शिष्यों को इलेक्ट्रोनिक मीडिया जैसे TV प्रसारण, यू ट्यूब, फेसबुक, व्हाट्सअप आदि द्वारा प्रचार करने की अनुमति दी | लेकिन मंत्र गुरुदेव की आवाज़ में ही काम करेगा |
· गुरु आपके अंदर है : गुर केवल वो ही नहीं है जो हम बाहरी रूप से देखते हैं | वह हम सभी में हैं | जैसा कि गुरुदेव ने बताया कि, “गुरु कौन है? ये शरीर गुरु नहीं है, ये शरीर तो किसी दिन नहीं रहेगा, पर गुरु (गुरु देव की शक्ति) कभी नहीं मरता, वह अनंत एवं उम्र की सीमाओं के पार है | गुरु तो हर शिष्य की चेतनाओं के अंत: स्तर में विराजमान है | साधना के साथ साथ गुरु की शक्ति का आंतरिक अहसास बढ़ता जायेगा | हमारा योग विज्ञान समय एवं दूरी के पार है | गुरुदेव कहते हैं कि मैं आप में हूँ और आप मुझ में हो | तुम जब भी मुझे याद करोगे अपने अंदर पाओगे | यदि गुरु समर्थ है तो वह सर्वव्यापी होता है उसे समय व् दूरी की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता | जब तुम मेरे पास दीक्षा के लिए आते हो, तो मैं तुमको कुछ बाहर से नहीं देता | वास्तव में तो कोई गुरु ना तो तुम्हें बाहर से कुछ दे सकता है और ना ही तुमसे कुछ ले सकता है | अगर कोई गुरु एसा दावा करता है तो वो केवल तुम्हें बहला रहा है | दीक्षा देते समय मैं केवल तुमको तुम्हारे अंदर बैठे गुरुसे परिचय करवा देता हूँ | उससे आगे दोस्ती करना तुम्हारा काम है, जो केवल ध्यान एवं नाम जप से सम्भव है |”
· गुरुदेव के फोटो से ध्यान लगता है : गुरु सियाग अद्वितीय हैं क्यों कि उन्हें इश्वर का साक्षात्कार सगुण (मूर्ति रूप) एवं निर्गुण (निराकार) दोनों में हुआ है | यद्यपि गुरु सियाग भौतिक रूप से विद्यमान नहीं हैं, लेकिन अध्यात्मिक साधक गहरा ध्यान और आश्चर्यजनक योगिक क्रियाएँ अनुभव करते हैं जब वह गुरुदेव के फोटो का ध्यान करते हैं | ऐसा इसलिए है क्यों कि गुरु सियाग एक शरीर न होकर एक ऐसी दिव्य चेतनता हैं जो सर्वव्यापी है | कोई भी गुरु सियाग को मन से प्रार्थना करके उनके फोटो का ध्यान करता है तो उसको वही दिव्य अनुभव होते हैं जो गुरुदेव के सशरीर होते हुए होते | श्री अरविन्द ने कहा है कि यदि एक योगी एक ही जन्म में सगुण और निर्गुण दोनों सिद्धियाँ प्राप्त कर ले तो वह पूरी मानवता को संकट से मुक्ति दिला सकता है | यदि एक व्यक्ति में यह परिवर्तन संभव है तो पूरी मानवता में भी परिवर्तन संभव है |
· नए साधकों के दिव्य अनुभव: पिछले कई दिनों से बहुत सारे भारतीय एवं विदेशी शिष्यों ने अपने कई दिव्य अनुभव बताये जबकि उनको गुरुदेव के भौतिक देह छोड़ने की जानकारी भी नहीं थी | इससे यह स्पष्ट होता है कि गुरुदेव के भौतिक रूप से उपस्थित न होने पर भी उन साधकों के अन्दर गुरुदेव की शक्ति कार्य कर रही है | गुरुदेव की कृपा एवं आशीर्वाद सुक्ष्म तल से अपने शिष्यों के साथ है |